सतपुड़ा के भीतर से
सतपुड़ा से मेरा परिचय तब हुआ था, जब मैं मुंबई से अपने उपन्यास को आगे बढ़ाने के ख़्याल से दसेक दिनों के लिए पचमढ़ी पहली बार गया। छोटी पहाड़ियाँ, छोटे कद के वृक्ष किंतु घने, हर्र-बघर्रा-आँवला की गंध से सराबोर जंगल। आगंतुक को, बशर्ते वह शहर की चीज़ें शहर