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कहानियाँ

कहानी गद्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। यह मानव-सभ्यता के आरंभ से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। भारतीय परंपरा में इसका मूल ‘कथा’ में है। आधुनिक संदर्भों में इसका अभिप्राय अँग्रेज़ी के ‘शॉर्ट स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित कहानी-परंपरा से है। इसका मुख्य गुण यथार्थवादी दृष्टिकोण है। हिंदी में कहानी का आरंभ अनूदित कहानियों से हुआ, फिर ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रकाशन के साथ मौलिक कहानियों का प्रसार बढ़ा। हिंदी कहानी के विकास में प्रेमचंद का अप्रतिम योगदान माना जाता है। प्रेमचंदोत्तर युग में जैनेंद्र, यशपाल सरीखे कहानीकारों ने नई परंपराओं का विस्तार किया। स्वातंत्र्योत्तर युग में नए वादों, विमर्शों और आंदोलन के साथ हिंदी कहानी और समृद्ध हुई।

1965

सुपरिचित कहानीकार। 'क्विज़ मास्टर' कहानी के लिए चर्चित।

1894 -1971

द्विवेदीयुगीन निबंधकार। ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादन और आलोचना में भी योगदान।

1972

इस सदी के दूसरे दशक में ठीक से पहचाने गए हिंदी के बेहद महत्त्वपूर्ण कवि-लेखक। बच्चों के लिए भी लेखन।

1970

सुपरिचित कहानीकार-अनुवादक। 'जानकी पुल' कहानी के लिए चर्चित।

1880 -1936

हिंदी कहानी के पितामह और उपन्यास-सम्राट के रूप में समादृत। हिंदी साहित्य में आदर्शोन्मुख-यथार्थवाद के प्रणेता।

1952

समादृत कथाकार-इतिहासकार। 'अकार' के संपादक।

1900 -1967

प्रेमचंद युग के गद्यकार और पत्रकार। कहानी विधा में ‘उग्र शैली’ के लिए उल्लेखनीय।

Rekhta Gujarati Utsav I Vadodara - 5th Jan 25 I Mumbai - 11th Jan 25 I Bhavnagar - 19th Jan 25

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