आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "sone ki chidia ebooks"
Pad के संबंधित परिणाम "sone ki chidia ebooks"
अटपट रंग को बिरह सुनि
अटपट रंग को बिरह सुनि, भूलि रहे सब कोइ।जल पीवत हैं प्यास कों, प्यास भयौ जल सोइ॥
ध्रुवदास
झूलै कुँवरि गोपराइन की
जगमगाति नव जोबन-जोति। निरखि नैन चकचौंधी होति॥बरन-बरन चूनरी सुरंग। फबी सलौने सोने-अंग॥
गदाधर भट्ट
सुनि राधा इक बात भली
हरि की कृपा को मोहि भरोसो प्रेम चतुर चित करत अली।परमानंद स्वामी कों मिलि कै मित्र उदै जैसे कंवल कली॥
परमानंद दास
राधाजू को जन्म भयो सुनि माई
राधाजू को जन्म भयो सुनि माई।सुकल पच्छ निसि आठें घर घर होत बधाई॥
परमानंद दास
ठाडी एक बात सुनि धीरी
ठाडी एक बात सुनि धीरी।भोर हितें कहा मटुकी लियें डोलति ब्रज-वासिनी अहीरी॥
चतुर्भुजदास
सुने न देखे भक्त भिखारी
सुने न देखे भक्त भिखारी।तिनके दाम-काम कौ लाभ न, जिनके कुंज-बिहारी॥
हरीराम व्यास
इंद्र हू की असवारी
बादरन की फ़ौजें छाईं बूँदन की तीरा कारी॥दामिनी की रंजक, तामैं ओले-गोले तोप छुटत,
बैजू
मंगल आरति प्रिया प्रीतम की
जुगलप्रिया
ब्रज की नारी डोल झुलावैं
ब्रज की नारी डोल झुलावैं।सुख निरखत मन मैं सचु पावें मधुर-मधुर कल गावैं॥