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माधव कठिन हृदय परवासी।तुझ पेअसि मोयँ देखल बियोगिनि अबहु पलटि घर जासी॥
अतिहि कठिन कुच ऊंचे दोऊ नितंबनि से,गाढ़े, उर लाइकै, सुमेटी काम हूक।
हिलगनि कठिन है या मन की।जाके लियें देखि मेरी सजनी, लाज गई सब तनकी॥
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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