आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "savati ri bunda muni kanhayya lal ebooks"
Doha के संबंधित परिणाम "savati ri bunda muni kanhayya lal ebooks"
सहसनाम मुनि भनित सुनि
सहसनाम मुनि भनित सुनि, तुलसी बल्लभ नाम।सकुचित हिय हँसि निरखि सिय, धरम धुरंधर राम॥
तुलसीदास
ब्रह्मादिक शिव मुनि जनां
ब्रह्मादिक शिव मुनि जनां, थाके सबही संत।सुन्दर कोउ न कहि सकै, जाकौ आदि न अंत॥
सुंदरदास
लाल, तुम्हारे विरह की
लाल, तुम्हारे विरह की अगनि अनूप, अपार।सरसै बरसैं नीरहूँ, झरहूँ मिटै न झार॥
बिहारी
मिली ललकि उठि लाल को
मिली ललकि उठि लाल को, टूटी लाल की माल।मनौ कढ़ी उर ते परै, विरह अनल की ज्वाल॥
भूपति
फूलूँ हों लखि लाल को
फूलूँ हों लखि लाल को, पिघरें घेना गात।सो हितु क्यों वे दूर जब, दुहुँ की उलटी बात॥
दयाराम
लसत लाल डोरे रु सित
लसत लाल डोरे रु सित, चखन पूतरी स्याम।प्यारी तेरे दृगन में, कियो तिहूँ गुण धाम॥
बैरीसाल
काहि छला पहिराव री
काहि छला पहिराव री, हों बरजी बहु बार।जाय सही नहिं बावरी, मिहदी रंग को भार॥
रामसहाय दास
गुंजा री तू धन्य है
गुंजा री तू धन्य है, बसत तेरे मुख स्याम।यातें उर लाये रहत, हरि तोको बस जाम॥
अंबिकादत्त व्यास
अमृत जस जुग लाल कौ
अमृत जस जुग लाल कौ, या बिनु अँचौ न आन।मो रसना करिबो करो, याही रस को पान॥
हरिव्यास देव
लाल, अलौकिक लरिकई
लाल, अलौकिक लरिकई, लखि-लखि सखी सिहाँति।आज-काल्हि में देखियतु, उर उकसौंही भाँति॥
बिहारी
लाल लली ललि लाल की
लाल लली ललि लाल की, लै लागी लखि लोल।त्याय दे री लय लायकर, दुहु कहि सुनि चित डोल॥