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नाच विषय रस गीत गंधि
नाच विषय रस गीत गंधि, भूषन भ्रमन विचारू।अंराग आलस रतन, कन्यही हित न सिंगारू॥
रत्नावली
मुख तैं बोले मिष्ट जो
मुख तैं बोले मिष्ट जो, उर में राखै घात।मीत नहीं वह दुष्ट है, तुरंत त्यागिये भ्रात॥
बुधजन
गांधी-गुरु तें ग्याँन लै
गांधी-गुरु तें ग्याँन लै, चरखा-अनहद-ज़ोर।भारत सबद-तरंग पै, बहत मुकति की ओर॥
दुलारेलाल भार्गव
भरि लोचन बोली प्रिया
भरि लोचन बोली प्रिया, कुंज ओट रिसठानि।पाए जानि तुम्हें अबै, करत प्रीति की हानि॥
कृपाराम
मृदु हँसि, पुनि-पुनि बोलि प्रिय
मृदु हँसि, पुनि-पुनि बोलि प्रिय, कै रूखी रुख बाम।नेह उपै, पालै, हरै, लै बिधि-हरि-हर-काम॥
दुलारेलाल भार्गव
सुन्दर सद्गुरु प्रगट है
सुन्दर सद्गुरु प्रगट है, बोलै अंमृत बैन।सूरज कौं देखै नही, मूंदि रहै जो नैन॥
सुंदरदास
रसना को रस ना मिलै
रसना को रस ना मिलै, अनत अहो रसखान।कान सुनैं नहिं आन गुन, नैन लखैं नहिं आन॥
श्रीधर पाठक
बालि बली बलसालि दलि
बालि बली बलसालि दलि, सखा कीन्ह कपिराज।तुलसी राम कृपालु को, विरद ग़रीब निवाज॥
तुलसीदास
बिकल होय बाला भजी
बिकल होय बाला भजी, गृह मैं लखि ब्रजराज।डरिकै ज्यों करिनी भजत, बन मैं लखि बनराज॥
मोहन
मार्यौ सिंह महा बली
मार्यौ सिंह महा बली, मार्यौ ब्याघ्र कराल।सुन्दर सबही घेरि करि, मारी मृग की डाल॥
सुंदरदास
किनहूं अंत न पाइयौ
किनहूं अंत न पाइयौ, अब पावै कहि कौन।सुन्दर आगें होहिंगे, थाकि रहे करि गौन॥
सुंदरदास
हरषि न बोली, लखि ललनु
हरषि न बोली, लखि ललनु, निरखि अमिलु संग साथु।आँखिनु ही मैं हँसि, धर्यौ सीस हियँ धरि हाथु॥
बिहारी
झां मन बेली ह्वां न श्रम
झां मन बेली ह्वां न श्रम, ब्रिड प्रमाद अघ भीति।धन तन जीवन सहज दे, भै चित प्रीति प्रतीति॥