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बाल महाभारत : अभिमन्यु
यह सब सुनकर बालक अभिमन्यु को अपने मामा श्रीकृष्ण और पिता अर्जुन की वीरता का स्मरण
चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
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सुंदर घनस्याम लाल
सुंदर घनस्याम लाल, पंकज लोचन बिसाल,आंगन ब्रजरानी जू के ठुमुकि-ठुमुकि धावै।
छीतस्वामी
बूंदा लाल भाल पै सोहै
लालई लाल कुचन बिच रेजा, लाल भराव भरौ है।रसिया लाल, लाल है पलका, संग लाल लपटौ है।
गंगाधर
हिंडोरे माई, झूलत गिरिधर लाल
हिंडोरे माई, झूलत गिरिधर लाल।संग राजत वृषभानु-नंदिनी अंग-अंग रूप रसाल॥
नंददास
लाल, तुम्हारे विरह की
लाल, तुम्हारे विरह की अगनि अनूप, अपार।सरसै बरसैं नीरहूँ, झरहूँ मिटै न झार॥
बिहारी
जेहों दुल्हे लाल दुल्हैया
जेहों दुल्हे लाल दुल्हैया।बहुविधि साक सुधारे बिंजन और बनायो पैया॥
परमानंद दास
छांड़ो मेरे लाल अजहुँ लरकाई
छांड़ो मेरे लाल अजहुँ लरकाई।यही काल देखिकैं तोकों ब्याह की बात चलावन आई॥
परमानंद दास
मिली ललकि उठि लाल को
मिली ललकि उठि लाल को, टूटी लाल की माल।मनौ कढ़ी उर ते परै, विरह अनल की ज्वाल॥
भूपति
सब बिध मंगल नंद को लाल
सब बिध मंगल नंद को लाल॥कमलनयन बलि जाय जसोदा न्हात खिजो जिन मेरे लाल॥