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वेद रटत, ब्रह्मा रटत

wed ratat, brahma ratat

नंददास

नंददास

वेद रटत, ब्रह्मा रटत

नंददास

और अधिकनंददास

    वेद रटत, ब्रह्मा रटत, संभु रटत, सेस रटत,

    नारद सुक-व्यास रटत पावत नहिं पार री।

    ध्रुव-जन, प्रहलाद रटत, कुंती के कुंवर रटत,

    द्रुपद-सुता रटत नाथ, नाथन प्रतिपार री॥

    गनिका गज गीध रटत, गौतम की नारि रटत,

    राजन की रमनी रटत सुनत दै-दै प्यार री।

    नंददास श्रीगुपाल गिरिवर धर रूप जाल

    जसुदा कों कुंवर लाल, राधा उर हार री॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप कवि : नंददास (पृष्ठ 91)
    • संपादक : सरला चौधरी
    • रचनाकार : नंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2006

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