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झूलौ पालने नंद नंदा

jhulau palne nand nanda

गोस्वामी हरिराय

गोस्वामी हरिराय

झूलौ पालने नंद नंदा

गोस्वामी हरिराय

झूलौ पालने नंद नंदा।

खन-खन खन-खन चूरा बाजें, मन में अति आनंदा॥

ठुन-ठुन ठुन-ठुन घुँघरू बाजें, तनन तनन सी वंसी।

नैन कटाच्छ चलावत गिरधर, मंद-मंद मुख हंसी॥

खटखट-खटखट लकुटी बाजै, चटक-चटक बाजै चुटकी।

नंद महर घर सोभा निरखत, मोहन मन में अटकी॥

कुहुकुहु-कुहुकुहु कोकिल बोलें, भनन-भनन बोलें भौंरा।

पी-पी-पी-पी पपैया बोलें, संगीते सुर दौरा॥

झूझू-झूझू झुनझुन बाजैं, फिरक-फिरक फिरै फिरकी।

गुडगुड-गुडगुड गुडकी बाजै, प्रेम मगन मन निरखी॥

ढो-ढो ढो-ढो ढोलक बाजै, गुनन-गुनन गुन गावै।

राधा गिरधर की बानिक पर, ‘रसिकदास’ बलि जावै॥

स्रोत :
  • पुस्तक : गो. हरिराय जी का पद-साहित्य (पृष्ठ 32)
  • संपादक : प्रभुदयाल मीतल
  • रचनाकार : गोस्वामी हरिराय
  • प्रकाशन : साहित्य संस्थान मथुरा
  • संस्करण : 1962

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