इण धर राजा इंद भणीजै

in dhar raja ind bhanijai

जसनाथ

जसनाथ

इण धर राजा इंद भणीजै

जसनाथ

और अधिकजसनाथ

    इण धर राजा इंद भणीजै, सो म्हाराज कुहागूं।

    राजा राव नै आगळ हुवा, जां कोई गरभ आणूं।

    इण घर पर छै चकवै हुवा, जां कोई गरभ आणूं।

    गरभ कियो उण चकवै चकवी, रैण विछोड़ो पाणूं।

    गरभ कियो रतनागर सागर, नीर खारो कर डार्यो।

    गरभ कियो बागां री कोयल, रंग कुरंग कर डार्यो।

    गरभ कर्यो उण वन री चिरमी, मुख काळो कर डार्यो।

    गरभ कियो लंकापत रावण, तोड़्यो सबळ ठिकाणूं।

    मंदोदर रै कैये मान्यो, जंभि राज गमाणूं।

    वन में जाय सताया तपसी, काया अंश ताणूं।

    सतजुग में पैळादो सीधो, जां सिव संकर जाणूं।

    तेता जुग में राव हरीचंद, जां सत सील भखाणूं।

    जोग दुवा पर पांचूं पांडू, जां भगवान पिछाणूं।

    भगवों बानो हितकर मानो, जुग जुग जसवंत जाणूं।

    भगवैं सू चोळ करी दुरजोधन, जातां नांव जाणूं।

    गरभ करै ना गेला घड़सी, थारो राज जाणूं

    राज दियो म्हे लूणकरणनै, गुरु गोरख परवाणूं।

    उनथ नाथां अनवी निवावां, करां जिको मन भाणू।

    तीन लोक रा नाथ भणीजां, थळसर रचियो थाणूं।

    काळंग मारां कुळ वरतावां, निकळंक नांव कुहाणूं।

    गुरु प्रसादे गोरख वचने, (श्रीदेव) जसनाथ (जी)

    असली वेद बखाणू।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सबद ग्रंथ (पृष्ठ 175)
    • संपादक : सूर्य शंकर पारेक
    • रचनाकार : जसनाथ
    • प्रकाशन : श्री देव जसनाथ सिद्धाश्रम (बाड़ी) धर्मनाथ ट्रस्ट बीकानेर (राज.)
    • संस्करण : 1996

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए