एक
बुरांश के खिलने से
वसंत युवा होता है
और उसका यौवन
छिपाए नहीं छिपता
हरे पहाड़ में छिपे हुए पेड़ों के
जंगल में होने का
एक और साक्ष्य मिलता है
जब बुरांश खिलता है
दो
बुरांश अकेला नहीं खिलता
खिलते बुरांश के साथ
पतझड़ से ऊबे
सैकड़ों बांज सुरई और काफल
फिर चहकने लगते हैं
बुरांश के खिलने से
जंगल खिल उठता है
तीन
बुरांश आशा है
आज के सूरज के
वर्षों तक उगने की
और अँधेरी रातों में
तारों और जुगनू के
कभी न बुझने की
उथले प्रयासों से दूर
एकांत का हाथ थामे
अपने अस्तित्व को
अभिव्यक्त करना
जैसे के बुरांश का खिलना
चार
बुरांश का खिलना
एक भरोसा है
कि हवा में पानी
पानी में जीवन
और जीवन में प्रेम
अब भी शेष है
अंतर्मुखी जंगल के
मितभाषी वृक्षों की
गहरी आवाज़ों को
नया स्वर मिलता है
जब बुरांश खिलता है
पाँच
आग रक्त
सूर्य और जीवन की लालिमा को
विस्तार मिलता है
जब बुरांश खिलता है
बुरांश प्रतीक है संभावनाओं का
छह
बुरांश आश्वासन है
कि जंगल में शेष
सिर्फ़ शिकारी ही नहीं
कि जंगल अब भी पोसता है
अनदिखे पौंधों
और अनसुने जीवों को
कि पहाड़ के भीतर
अब भी नमी है
और पेड़ों की जड़ें
अब तक धँसी हैं
मिट्टी की परतों के नीचे
कि धरती अब तक जुड़ी है
उन सबसे
जो आकाश छूना चाहते हैं
बुरांश प्रतीक है संभावनाओं का
सात
बुरांश एक आशा है
कि जंगल अब भी खुले हैं
प्रेमियों और कवियों के लिए
गडरियों और भेड़ों के लिए
और उन सब के लिए
जिन्हें शहर ने बुलावा नहीं भेजा
या जिन्होंने
ठुकरा दिया
शहर का बुलावा
बुरांश एक आशा है
कि रास्ता दोनों ओर खुला है
और लौट जाना भी
हो सकती है एक शुरुआत
जैसे सर्दियों के लौटते ही
खिल उठते है बुरांश
और पतझड़ हार जाता है
एक और युद्ध
प्रेम और सौंदर्य की
अमरता के साथ...
- रचनाकार : स्वाति मेलकानी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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