प्रेम अपनी जगह होता है
बाक़ी चीज़ें अपनी जगह
गमले अपनी जगह
प्याले अपनी जगह
ड्रेसिंग टेबल पर
रखी
लगभग घिस गई
बैम्बू पिंक लिपस्टिक
अपनी जगह
भूली हुई चीज़ें भी
रखी ही रहती हैं
किन्हीं बहुत चौकस पलों में
कुछ ज़्यादा ही सँभालकर
रखने और भूल जाने के बीच
तुम ही हो
जो बार-बार
भूल जाती हो
कि
भई प्रेम अपनी जगह है
और
सार्वजनिक दायरे...
अपनी जगह
- रचनाकार : मनीषा कुलश्रेष्ठ
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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