दुर्लभ मौक़ा आपने गँवा दिया
durlabh mauqa aapne ganwa diya
ज़नाब
आप यह पेशकश ठुकरा सकते थे
और महामाहिम तथा प्रथम नागरिक से कहीं अधिक इंसानियत के
सच्चे हिमायती के बतौर दिलों और इतिहास में
आपकी जगह होती
राष्ट्र की धमनियों में प्रवाहित ख़ून को
विषाक्त करते कीटाणुओं के जोश को
नष्ट नहीं तो ठंडा ज़रूर कर देता आपका नकार
हमेशा हर जगह हर किसी न किसी की हत्या के लिए
ख़ुद तैनात ताक़तों के मंसूबों पर
कोड़े फटकारने का दुर्लभ मौक़ा आपके हाथ में था
बदक़िस्मती बदहाल मुल्क की आपने गँवा दिया
मैं करोड़ों में एक गुमनाम धब्बा
एक नागरिक मतदाता एक तरह से जलावतन
आपको वह बता रह जो सिर्फ़ आपको नहीं
सबको दिखाई दे रहा है और समझ में आ रहा
क्रूरतम रक्तपात से लथपथ विराट सांस्कृतिक मलबे पर
रखा हुआ सिंहासन
जिस पर वे तिलक करने जा रहे हैं आपका
उनके एजेंडे के दिलो-दिमाग़ के बीच
जो कुछ ख़तरनाक है
उसको पढ़ रही है अनगिनत चिंतित आँखें
पर आप और आप जैसों की ज़ुबानें नहीं खुलीं
इतना भयानक नरमेध जैसे हुआ ही नहीं
आपके दिक्काल में
यह तो उजागर है कोई फ़र्क़ नहीं आपकी निगाहों में
मिसाइलें बनाने और वीणा बजाने में
इसीलिए आपने कभी कुछ नहीं कहा
विज्ञान के समाजशास्त्र और उसकी
विचारधारा के बारे में
सोचने के लिए दो क्षण की मोहलत माँगे बिना
आपकी ताबड़तोड़ मंज़ूरी
क्षमा करें आपके जीवन भर के कमाए
बायोडेटा से मेल नहीं खाती
आपकी संघर्षपूर्ण ज़िंदगी, सादगी
और कम ज़रूरतों की तारीफ़ और तस्दीक़
इसी रोशनी में होती
जो आप दो टूक शब्दों में जता देते
‘मेरी धूप मत रोकिए मैं सख़्त ख़िलाफ़ हूँ
अपने इस्तेमाल किए जाने के’
पर आप तो बेहद ख़ुश
गोया नहीं जानते
कि हज़ारों भेड़ों-मेमनों की नृशंस हत्या करने वाला
भेड़ियों के पक्ष में जो खड़े हैं
बतौर रणनीति यह तोहफ़ा
उनकी ही तरफ़ से नज़र है आपको
और हाँ, जब एक उम्रदराज़
आज़ादी के लिए जूझी महिला सामने आ गई
जो विध्वंसक हथियार बनाने के बदले
मरीज़ों की ख़िदमत को रही तैनात
पहली बार एक जानी-पहचानी औरत
मुल्क के सर्वोच्च पद के लिए आगे आई
तो उसके पक्ष में बाइज़्ज़त हट जाने
और इस तरह क़त्लेआम के दृश्य पर
परदे की तरह गिरने से बचने का
आप दूसरा मौक़ा भी चूक गए।
- पुस्तक : जहाँ थोड़ा-सा सूर्योदय होगा (पृष्ठ 237)
- रचनाकार : चंद्रकांत देवताले
- प्रकाशन : संवाद प्रकाशन
- संस्करण : 2008
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