हिन्दवी शब्दकोश
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जूता
जूता का हिंदी अर्थ
- कंकड़, काँटे, कीचड़, मिट्टी आदि से पैरों की रक्षा करने के लिए उनमें पहने जानेवाले उपकरण की जोड़ी जो चमड़े, टाट, रबर आदि की बनी होती है। उपानह। जोड़ा। विशेष-(क) हमारे देश में इसकी गिनती बहुत ही उपेक्ष्य और तुच्छ चीजों में होती है और इससे मारना बहुत ही अपमान-जनक और तिर स्कार सूचक होता है। (ख) मुहावरों आदि में इसका प्रयोग एक-वचन में भी होता है और बहुवचन में भी। मुहा०-(आपस में) जूता उछलना = (क) आपस में जूतों से मार पीट होना। (ख) आपस में बहुत ही निकृष्ट प्रकार की कहा-सुनी और थुक्का-फजीहत होना। (किसी पर) जूता उछालना = किसी के संबंध में बहुत ही अपमान-जनक बातें कहना। (किसी का) जूता उठाना = बहुत ही तुच्छ या हीन बनकर छोटी-छोटी सेवाएँ तक करना। (किसी पर) जूता उठाना = जूते से आघात या प्रहार करने पर उद्यत होना। जूता खाना = (क) जूतों की मार खाना। (ख) बहुत ही बुरी तरह से अप मानित और तिरस्कृत होना। जूता घुमाना जूता चलाना। (देखें) (आपस में) जूता चलना = (क) आपस में जूतों से मार-पीट होना। (ख) आपस में बहुत बुरी तरह से कहा-सुनी या थुक्का-फजीहत होना। जूता चलाना-छोटे-मोटे चोर का पता लगाने के लिए वह टोना या तांत्रिक उपचार करना जिसमें जूता चारों तरफ घूमता रहता है, पर चोर का नाम लेने पर ठहर या रुक जाता है। (किसी पर) जूता चलाना किसी को मारने के लिए उस पर जूता फेंकना। (किसी का) जूता चाटना स्वार्थवश बहुत ही दीन-हीन बनकर किसी की खुशामद और तुच्छ सेवाओं में लगे रहना। (किसी को) जूता देना = जूते से प्रहार करना। (किसी पर) जूता पड़ना = बहुत ही बुरी तरह से अपमानित, तिरस्कृत या लांछित होना। जूता मारना = बहुत ही बुरी तरह से अप मानित या तिरस्कृत करना। (किसी पर) जूता पड़ना या बैठना = बहुत ही अपमान-जनक या तिरस्कार-सूचक व्यवहार होना। (किसी पर) जूता लगना-जूता पड़ना। (देखें ऊपर) (पैर में) जूता लगना = पैर में जूते की रगड़ के कारण घाव होना (आपस में) जूतों दाल बॅटना = बहुत ही बुरी तरह से या नीचों की तरह लड़ाई-झगड़ा होना। (किसी के साथ) जूतों से आना = मारने के लिए तैयार होना। (किसी के साथ) जूतों से बात करना = (क) जूतों से मारना। (ख) बहुत ही बुरी तरह से अपमानित और तिरस्कृत करना। अत्यन्त अनादरपूर्ण व्यवहार करना।
- ऐसा व्यय जो बहुत ही बुरे आघात या प्रहार के रूप में हो। जैसे इनके फेर में सौ रुपये का जूता तुम्हें भी लगा (अर्थात् तुम्हें भी व्यर्थ सौ रुपए खर्च करने पड़े)। पद-चाँदी का जूता-घूस आदि के रूप में धन का ऐसा व्यय जो किसी को दबाकर अपने अनुकूल या वश में करने के लिए हो। नगद रिश्वत। जैसे-चाँदी का जूता तुम्हें भी ठीक या (सीधा) कर देगा।