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तेरे री लाल मेरो माखन खायौ
तेरे री लाल मेरो माखन खायौ।भरी दुपहरी सब सूनो घर ढंढोरि अब ही उठि धायौ॥
परमानंद दास
मेरौ मनु हरयौं गिरिधर लाल
मेरौ मनु हरयौं गिरिधर लाल।सुनु री सखी कहा कहौं तोसौं, जे कीन्हे हरि हाल॥
छीतस्वामी
जा दिन कन्हैया मोसों
जा दिन कन्हैया मोसों मैया कहि बोलैगो।तादिन अति आनंद गिनोंरी माई रुनक झुनक ब्रज गलिन में डोलेगो॥
परमानंद दास
ग्वाल कहत सुनो हों कन्हैया
ग्वाल कहत सुनो हों कन्हैया।धर जेबे की भई बिरीयां दिन रहयो घड़ी द्वैया॥
परमानंद दास
यह कौन टेब तेरी कन्हैया
यह कौन टेब तेरी कन्हैया, जब तब मारग रोकै।कैसे के भरन जाँहि पनियाँ जुबति जन,
गोस्वामी हरिराय
गौपालै देखन किन आई री
गोवर्द्धन-घरन-लाल गान सों बुलाई री।‘कृष्णदास' प्रभु सों मिलन जुवतिनि सुखदाई री॥
कृष्णदास
नंद-गाउं नीकों लागत री
नंददास
सुंदर घनस्याम लाल
सुंदर घनस्याम लाल, पंकज लोचन बिसाल,आंगन ब्रजरानी जू के ठुमुकि-ठुमुकि धावै।
छीतस्वामी
ठगौरी घाली री मेरो मनु लियो हरी
ठगौरी घाली री मेरो मनु लियो हरी।सखी स्यामसुंदर ए री बिनु देखें जुग समान जात घरी॥
गोविंद स्वामी
हिंडोरे माई, झूलत गिरिधर लाल
हिंडोरे माई, झूलत गिरिधर लाल।संग राजत वृषभानु-नंदिनी अंग-अंग रूप रसाल॥
नंददास
जेहों दुल्हे लाल दुल्हैया
जेहों दुल्हे लाल दुल्हैया।बहुविधि साक सुधारे बिंजन और बनायो पैया॥
परमानंद दास
छांड़ो मेरे लाल अजहुँ लरकाई
छांड़ो मेरे लाल अजहुँ लरकाई।यही काल देखिकैं तोकों ब्याह की बात चलावन आई॥
परमानंद दास
बगुला भक्तन सों डरिये री
बगुला भक्तन सों डरिये री।इक पग ठाढ़े ध्यान धरत है दीन मीन लौं किमि बचिए री।
जुगलप्रिया
आजु मेरे धाम आए री
आजु मेरे धाम आए री नागर नंद किसोर।धन्य दिवस धन घरी री सजनी, धन्य भाग सखि मोर॥
नंददास
सब बिध मंगल नंद को लाल
सब बिध मंगल नंद को लाल॥कमलनयन बलि जाय जसोदा न्हात खिजो जिन मेरे लाल॥