आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "nipat niranjan ki vani ebooks"
Pad के संबंधित परिणाम "nipat niranjan ki vani ebooks"
संगत साधुन की करिये
बानी मधुर सरस मुख बोलत, अवस सुनिये भव तरिये।‘निरंजन’ प्रभु अंतर निरमल, हीये भेद बिसरिये॥
निपट निरंजन
हरि के दास कहावत हो
माया मोह लोभ नहिं छूटे, चाहत प्रेम प्रकास।कहत ‘निरंजन’ तब प्रभु रीझे, जब मन होत निरास॥
निपट निरंजन
ब्रज की बीथिन निपट सांकरी
ब्रज की बीथिन निपट सांकरी॥यह भली रीति गाऊं गोकुल की जितही चलीए तितहिबां करी॥
परमानंद दास
शहंशाह बने हो तो आह सुनो दिनन की
के ‘निपट निरंजन', सुनो आलमगीर,ये गुन राजा में न हो लुच्चा वो मवाली है॥
निपट निरंजन
अविगतनाथ निरंजन देव
रैदास
हम दरवेस निरंजण जोगी
हम दरवेस निरंजण जोगी, जुग जुग से अगवाणी।जां सूं जैसा तां सूं तैसा, और न बोलां वाणी।
जसनाथ
ओं पैलां सिंभू आप उपन्ना
जोग छतीसां निरंजण साझ्या, किया है ओंकारूं।धरती माता नीवैं रचाई, सीस रच्यो गैणारूं।
जसनाथ
सीख देवै समझावै सुरनर
कांन कळा निकळंकी बाबो, जिणनै मान बडाये।अबची वाचा सो गुरु सिंवरो, एक निरंजण ध्याये।
जसनाथ
मकर भूला माघ पिराणी
निरे निरंजण, एके आसण, गोरख आगळ धंधुकारे,जुगां छतीसां, और बतीसां और बी लाजे लाजूं।
जसनाथ
भरत-राम का प्रेम (एन.सी. ई.आर.टी)
जे पय प्याइ पोखि कर-पंकज वार वार चुचुकारे।क्यों जीवहिं, मेरे राम लाडिले! ते अब निपट बिसारे॥
तुलसीदास
मोपैं यह कैसी मोहिनी डारी
निपट उदास रहत हौं जबतें, सूरत देखि तिहारी॥सँग की सखी देखि मोहि धीरज, बचन कहति हितकारी।
नारायण स्वामी
राम सुं राजी वो मेरा
रघुपति सुं नेह लागा, दिल का धोका सकल भागा।निरंजन के चरण कमल, अचल किया ज्यागा॥