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कलेऊ कीजै नंद-कुमार
कलेऊ कीजै नंद-कुमार।भई बड़ि बार जाहु जमुना-तट ठाढ़े सखा सब द्वार॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
खेवटीयारे वीर अब मोहे
खेवटीयारे वीर अब मोहे क्यों न उतारे पार।मेरे संग की सबही उतरके भेटी नंद कुमार॥
परमानंद दास
ललन उठाय देहु मेरी गगरी
नंद कुमार कहे नेक ठाडी रही कछुक बात कर लीजै।परमानंद प्रभु संग मिले चलि बातन के रस भीजे॥
परमानंद दास
जयति-जयति श्रीहरिदास वर्य धरने
कुंभनदास
जा दिन कन्हैया मोसों
परमानंद दास
वीभत्स रस में ईश्वर-स्तुति
कितै मच्छ औ कच्छ की तुच्छ देही।कितै केहरी कोल है रक्त-नेही॥