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निरखत अंक स्यामसुंदर के
निरखत अंक स्यामसुंदर के बारबार लावति छाती।लोचन-जल कागद-मसि मिलि कै ह्वै गई स्याम स्याम की पाती॥
सूरदास
केलि-विलास (शरद)
कुसमे कातिक चंद निम्मल कला दीपांनि वर दायते।मां मुक्कइ पिय बाल नाल समया सरदाय दरदायते।
चंदबरदाई
केलि करि प्यारी-पिय
केलि करि प्यारी-पिय, पौढ़े चारु-चांदनी में,नेह सौं लिपट गए जोबन के जोस में।
नंददास
केलि-विलास (वर्षा)
आले वद्दल मत्त मत्त विषया दामिन्नि दामायते।दादुल्ले दल सोर मोर सरसा पप्पीहान् चीहायते।
चंदबरदाई
केलि-विलास (हेमंत)
क्षीनं वासर स्वास दीघ निसया शीतं जनेतं वने।सज्ज संजर वान यौवन तया आनंग आनंगने।
चंदबरदाई
केलि-विलास (ग्रीष्म)
दीहा दिव्य सदंग कोप अनिला आवर्त्त मित्ताकर।रेन सेन दिसान थान मलिना गोमग्ग आडंबर।
चंदबरदाई
केलि-विलास (शिशिर)
रोमाली वन नीर निघ्घ वरये गिरि डंग नारायते।पव्वय पीन कुचानि जानि सयला फुंकार झुंकारये।
चंदबरदाई
केलि-विलास (वसंत)
सामग्गं कलधूत नूत सिखरा मधुलेहि मधु वेष्टिता।वाते सीत सुगंध मंद सरसा आलोल सा चेष्टिता।
चंदबरदाई
कुंज के द्वार ठाढे हैं मोहन
'गोविंद' प्रभु गिरिधर घोखराजसुत मो तो तिहारे गुन रूप भए—सब धाइ अंक भरि लीजे॥
गोविंद स्वामी
गोविंद चले चरावन गैया
‘चतुर्भुजदास’ छाक छीके सजि, सखनि सहित बल भैया।गिरिधर गवनत देखि अंक भरि मुख चूम्यो ब्रजरैया॥
चतुर्भुजदास
नात होती लराई दृगन में
फेरि मारग दिस खेल लगाई, भँवर करी चकरी।‘रसिक प्रीतम’ के अंक बसी हों, मेलि गरें भुज री॥
गोस्वामी हरिराय
आवति माई राधिका प्यारी
घूँघट की ओट व्है लियो है लाल मनुहारी—'गोविंद' प्रभु दंपति रस मूरति दृष्टि सों भरत अंक घारी॥
गोविंद स्वामी
पिया हो, कसकत कुस पग बीच
सुनि तुरंत पठयो लखनहि प्रभु जल हित दूरि सुजान।लोइ अंक सिय जोवत कुस कन धोवत पत अँसुआन॥
सुधाकर द्विवेदी
कलेऊ कीजै नंद-कुमार
कलेऊ कीजै नंद-कुमार।भई बड़ि बार जाहु जमुना-तट ठाढ़े सखा सब द्वार॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
तू आदि भवानी जग जानी सर्वानी
तू आदि भवानी जग जानी सर्वानी, सर्व कला दै विद्या बरदानी।अंबे जगदंबे असुरसंहारनी तरनतारनी,