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मंगल आरति प्रिया प्रीतम की
जुगलप्रिया
आज सखी प्रीतम जो पाऊँ
रूप मनोहर चाल मराला, सुंदरता पर बलि-बलि जाऊँ॥जो प्यारे इस गलियन आवैं, मो बिरहिन कों दरस दिखावैं।
नारायण स्वामी
श्री राधा वंदना
‘प्रीतम’ प्रवीन भक्त हीय की सरसता केसहज समानी ग्यानी बपु बरदानी के।
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
श्री गणेश वंदना
‘प्रीतम’ कविंद छंद रचना सुरुचि रचि,गाबै गौरि सुत श्री गजानन की वंदना॥
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
श्री सरस्वती वंदना
‘प्रीतम’ सुकवि रस रसना रसैगी जब,आय निबसैगी हिय-हँस की सबारी पै।
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
श्री यमुना वंदना
पूर्णानंद करी सदैव सुभगा, सारा सभी काम की।प्यारी ‘प्रीतम’ प्रान पुन्य फलदा, सोभा सु-विश्राम की॥
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
श्री गुरु-गोपाल वंदना
‘प्रीतम’ प्रवर वर वैभव बिपुल पाइ,सुजस प्रवाह बढ़ै रसमयी छंदों में।
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
बलदेव दाऊजी वंदना
‘प्रीतम’ प्रबुद्धि हेतु सरसुती कौं ध्यावें ज्यों,सभी कामना कौं कर सेवा बलभद्र की॥
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
श्री गुरु पद नख वंदना
‘प्रीतम’ अनंद नाम श्री गुरु श्री ‘विट्ठलेश’,रटों नि सियाम करौं पद नख वंदना॥
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
देवी वंदना
‘प्रीतम’ सरन रन टारि कें सु पूर्न प्रन,दृन दया दृष्टि ते दलन कर खल कों।
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
श्री गिरिराज वंदना
कवि ‘प्रीतम’ जग बंधु वर, ब्रज रच्छक स्यामल बरन।दु:ख हरण असरन सरन, जय-जय-जय गिरिवर धरन॥
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
म्हाँरे घर आज्यो प्रीतम प्यारा
म्हाँरे घर आज्यो प्रीतम प्यारा तुम बिन सब जग खारा।तन मन धन सब भेंट करूँ जो भजन करूँ मैं थाँरा।
मीरा
इंद्र हू की असवारी
बादरन की फ़ौजें छाईं बूँदन की तीरा कारी॥दामिनी की रंजक, तामैं ओले-गोले तोप छुटत,
बैजू
झूलै कुँवरि गोपराइन की
झूलै कुँवरि गोपराइन की। मधि राधा सुंदरि-सुकुमारि॥प्रथमहि रितु पावस आरम्भ। श्रीवृषभानु मँगाये खंभ॥
गदाधर भट्ट
श्री मुकुंद गोपाल वंदना
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
ब्रज की नारी डोल झुलावैं
ब्रज की नारी डोल झुलावैं।सुख निरखत मन मैं सचु पावें मधुर-मधुर कल गावैं॥