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सुनि परमित पिय प्रेम की
सुनि परमित पिय प्रेम की, चातक चितवति पारि।घन आशा सब दुख सहै, अंत न याँचै वारि॥
सूरदास
सुन्दर सुवचन कै सुनै
सुन्दर सुवचन कै सुनै, उपजै अति आनंद।कुवचन काननि मैं परै, सुनत होत दुख द्वंद॥
सुंदरदास
कर्मकांड के बचन सुनि
कर्मकांड के बचन सुनि, आंटी परी अनेक।सुन्दर सुनै उपासना, तब कछु होइ बिबेक॥
सुंदरदास
सुन्दर समुझावै बहू सुनि
सुन्दर समुझावै बहू, सुनि हे मेरी सास।माइ बाप तजि धी चली, अपने पिय के पास॥
सुंदरदास
तुलसी जाने सुनि समुझि
तुलसी जाने सुनि समुझि, कृपासिंधु रघुराज।महँगे मनि कंचन किए, सौंधे जग जल नाज॥
तुलसीदास
कै सांई की बंदगी
कै सांई की बंदगी, कै सांई का ध्यांन।सुन्दर बंदा क्यों छिपै, बंदे सकल जिहांन॥
सुंदरदास
तिय पिय श्रावन खबरि सुनि
तिय पिय श्रावन खबरि सुनि, बिपिन चली ततकाल।पूजन पिनाकि अर्ध निशि, कारण कवन जमाल॥
जमाल
पीय लुभाना सुनि सखा
पीय लुभाना सुनि सखा, काहू सौं परदेस।सुन्दर बिरहनि यौं कहै, आया नहीं संदेस॥
सुंदरदास
बानी कटु सुनि सठन की
बानी कटु सुनि सठन की, धीर न होंहि मलान।कहा हानि मृगराज की, भूँसत जौं लखि स्वान॥
दीनदयाल गिरि
नाह-दोष सुनि मान तैं
नाह-दोष सुनि मान तैं, मन को कर्यो कठोर।चंद्रकांत सो होत पै, वा मुखचंद्र निहोर॥
मोहन
दरसनीय सुनि देस वह
दरसनीय सुनि देस वह, जहें दुति-ही-दुति होइ।हौं बारौ हेरन गयौ, बैठ्यौ निज दुति खोइ॥
दुलारेलाल भार्गव
सहसनाम मुनि भनित सुनि
सहसनाम मुनि भनित सुनि, तुलसी बल्लभ नाम।सकुचित हिय हँसि निरखि सिय, धरम धुरंधर राम॥
तुलसीदास
जो बाँचै सीखै सुनै
जो बाँचै सीखै सुनै, रीझि करै फिरि प्रस्न।सो सतसंगति कीजियौ, पहुँचै ‘जय श्रीकृस्न॥