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डेढ हजार रु एक सौ
डेढ हजार रु एक सौ, इतने होहिं अंगुष्ट।चौसठि सै अंगुली करै, मन तैं कौन संपुष्ट॥
सुंदरदास
हारी जतन हज़ार कै
हारी जतन हज़ार कै, नैना मानहिं नाहिं।माधव-रूप बिलोकि री, माधव लों मँड़राहिं॥
रामसहाय दास
झपटि लरत, गिरि-गिरि परत
झपटि लरत, गिरि-गिरि परत, पुनि उठि-उठि गिरि जात।लगनि-लरनि चख-भट चतुर, करत परसपर घात॥
दुलारेलाल भार्गव
प्रीत रीति अति कठिन
प्रीत रीति अति कठिन, प्रीत न कीजै लाल।मिले कठिन, बिछरन कहत, नित जिय जरै जमाल॥
जमाल
असुर भूत अरू प्रेत पुनि
असुर भूत अरू प्रेत पुनि, राक्षस जिनि कौ नांव।त्यौं सुन्दर प्रभु पेट यह, करै खांव ही खांव॥
सुंदरदास
कल न परत पल एक हूँ
कल न परत पल एक हूँ, छाडै सास उपास।सुन्दर जागी ख़्वाब सौं, देखे तौ पिय पास॥
सुंदरदास
अद्भुत एनी परत तुव
अद्भुत एनी परत तुव, मधुवानी श्रुति माहिं।सब ज्ञानी ठवरे रहैं, पानी माँगत नाहिं॥
रसलीन
प्रीत निभाई द्वे सकें
प्रीत निभाई द्वे सकें, इकसु न निबहनहारि।देखी सुनि न कहु बजी, एक हाथ सूं तारि॥
दयाराम
जमला प्रीत न कीजिये
जमला प्रीत न कीजिये, काहू सों चित लाय।अलप मिलण बिछुड़न बहुत, तड़फ तड़फ जिय जाय॥
जमाल
जमला प्रीत न कीजियै
जमला प्रीत न कीजियै, काहू सों चित लाय।अलप मिलण बिछुड़न बहुत, तड़फ-तड़फ जिय जाय॥