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निरखत अंक स्यामसुंदर के
निरखत अंक स्यामसुंदर के बारबार लावति छाती।लोचन-जल कागद-मसि मिलि कै ह्वै गई स्याम स्याम की पाती॥
सूरदास
नहिं मृगंक भू अंक यह
नहिं मृगंक भू अंक यह, नहिं कलंक रजनीस।तुव मुख लखि हारो कियो, घसि घसि कारो सीस॥
रसलीन
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चारि के अंक-सी लंक बिराजति
श्रीपति
कोमल कपोल निवि ढंकन के अंक देषो
कोमल कपोल निवि ढंकन के अंक देषो,शीश कंज बिंद को शशंक वारि दीजियै।
गिरिधर पुरोहित
कला और भारतीय चित्र-निरूपण
कन्नीमल एम.ए.
देखे अनदेखे हरि तजत न अंक तेरो
देखे अनदेखे हरि तजत न अंक तेरो,विमल मयंकमुखी मोहे कटि निखलौ।
कालिदास त्रिवेदी
आधुनिक नृत्य-कला
प्राचीन काल में भारतवर्ष अपने कला-कौशल के लिए विख्यात था। यहाँ सभी कलाएँ उन्नति की चरमावस्था