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प्रेमचंद के उद्धरण

यह हमारे साथ कितना बड़ा अन्याय है, हम कितने ही चरित्रवान हों, कितने ही बुद्धिमान हों, कितने ही विचारशील हों, पर अँग्रेज़ी भाषा का ज्ञान न होने से उनका कुछ मूल्य नहीं, हमसे अधम और कौन होगा कि इस अन्याय को चुपचाप सहते हैं। नहीं बल्कि उसपर गर्व करते हैं।

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