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मनोहर श्याम जोशी के उद्धरण

स्मृति क्यों तुच्छ को महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण को तुच्छ मानती है, जितना प्रौढ़ होता जाता है मानव, क्यों उतनी ही बचकानी हुई जाती है, बचपन की ओर लौटने लगती है स्मृति।

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