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श्रीनरेश मेहता के उद्धरण

साहित्य समग्रता के प्रति प्रतिश्रुत होता है, न कि जीवन के किसी एक पक्ष के प्रति; चाहें वह पक्ष कोई भी क्यों न हो।

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