होर्खे लुई बोर्खेस के उद्धरण
साहित्य को और (यदाकदा) अधिभौतिक जटिल मनन को समर्पित अपने जीवन के दौरान, मुझे समय के अस्तित्व के नकार का एहसास या पूर्वाभास हुआ, जिसमें मैं स्वयं यक्तीन नहीं करता, यद्यपि वह मेरे मन के भीतर, रात में और थके-माँदे धुँधलके में स्वयंसिद्धि की किसी मायावी ताक़त से ओतप्रोत हो नियमित विचरण करता रहता है। यह नकार मेरी सारी पुस्तकों में किसी-न-किसी रूप में मौजूद है।
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