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लुडविग विट्गेन्स्टाइन के उद्धरण

‘रुचि’ की क्षमता नई संरचना नहीं कर सकती, वह तो पूर्व-रचित संरचना का समयोजन ही कर सकती है। रुचि तो पेंचों को कसती अथवा ढीला ही करती है, वह कोई नवीन यंत्र नहीं बना सकती।