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मनोहर श्याम जोशी के उद्धरण

प्रेम होता ही अतिवादी है। यह बात प्रौढ़ होकर ही समझ में आती है उसके कि विधाता अमूमन इतना अतिवाद पसंद करता नहीं। खैर, सयाना-समझदार होकर प्यार, प्यार कहाँ रह पाता है!

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