Font by Mehr Nastaliq Web

मोहनदास करमचंद गांधी के उद्धरण

मेरे सामने जब कोई असत्य बोलता है तब मुझे उस पर क्रोध होने के बजाए स्वयं अपने ही ऊपर अधिक कोप होता है, क्योंकि में जानता हूँ कि अभी मेरे अंदर—तह में—असत्य का वास है।

  • संबंधित विषय : झूठ