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श्रीकांत वर्मा के उद्धरण

मेरे मन पर मुक्तिबोध की आतंक-भरी छाप है, यंत्रणामय स्मृतियाँ हैं। मुक्तिबोध को याद करते हुए तकलीफ़ होती है।