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कृष्ण बलदेव वैद के उद्धरण

मौत में ही मुक्ति है। जीवनमुक्त लोगों से ईर्ष्या होती है, मैं उन लोगों में नहीं हो सकता क्योंकि मैं लेखक हूँ।

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