मोहनदास करमचंद गांधी के उद्धरण
क्या कोई व्यक्ति स्वप्न में भी यह सोच सकता है कि अँग्रेज़ी भविष्य में किसी भी दिन भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है? फिर राष्ट्र के पाँवों में यह बेड़ी किस लिए?
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