जयशंकर प्रसाद के उद्धरण
भूला हुआ लौट आता है, खोया हुआ मिल जाता है, परंतु जो जान-बूझकर भूल-भुलैया तोड़ने के अभिमान से उसमें घुसता है, वह चक्रव्यूह में स्वयं मरता है, और दूसरों को भी मारता है।
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