कृष्ण बलदेव वैद के उद्धरण
बावक़ार बुढ़ापे के लिए सेहत, माली फ़राग़त, और ख़ामोशी ज़रूरी...और अंदरूनी ताक़त जो पढ़ने, सोचने और ध्यान से ही मिलती है।
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