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मोहनदास करमचंद गांधी के उद्धरण

अनुचित इच्छाएँ तो उठती ही रहेंगी। उनका हम ज्यों-ज्यों दमन करेंगे त्यों-त्यों दृढ़ बनेंगे और हमारा आत्मबल बढ़ेगा।