मोहनदास करमचंद गांधी के उद्धरण
आत्मविश्वास रावण का-सा नहीं होना चाहिए, जो समझता था कि मेरी बराबरी का कोई है ही नहीं। आत्मविश्वास होना चाहिए विभीषण-जैसा, प्रह्लाद-जैसा। उनके जी में यह भाव था कि हम निर्बल हैं मगर ईश्वर हमारे साथ है और इस कारण हमारी शक्ति अनंत है।
-
संबंधित विषय : जीवन