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थान दे गोरिए बाला

than de goriye bala

गोरखनाथ

गोरखनाथ

थान दे गोरिए बाला

गोरखनाथ

और अधिकगोरखनाथ

    थान दे गोरिए बाला, भाई बिन प्याले प्याला जी।

    गियांन की हाल्हीला पालंखू, गोरख बाला पौढ़ीला जी॥

    देवलोक की देवकंन्या, मृतलोक की नारी जी।

    पाताल लोक की नागकंन्या, गोरख बाला भारी जी॥

    माया मारिली मावसी तजिली, तजीला कुटुंब बंधु जी।

    सहस्र कंवल तहां गोरख बाला, जहाँ मन मनसा सुरबंधु जी॥

    आसा तजीला तृष्नां तजिला, तजिला मनसा माई जी।

    नौ खंड पृथ्वी फेरि नैं आलौं, गोरख रहीला मछिंद्र ठाई जी॥

    हे गौरी माँ! बालक गोरखनाथ ने प्याले के बिना ही अमृत रस पीया है, इसे अपने पास स्थान दो। बालक गोरखनाथ ज्ञान की शाख़ा में लगे पालने में लेटा है। देवलोक की कन्या (ब्रह्मानुभूति), मृत लोक की नारी (सूक्ष्म माया) तथा पाताल लोक की नाग कन्या (कुंडलिनी) बालक गोरख (निज स्वरूप को प्राप्त जीवात्मा) की सेवा का भार उठा रही हैं। गोरख ने स्थूल माया को जीत लिया, अज्ञान (मावसी) छोड़ दिया और परिवार का बंधन त्याग दिया। जहाँ सहस्रकमल है, गोरख ने मन की अभिलाषा और प्राणों को वहाँ बाँध दिया। गोरख ने संसार के सुख की आशा छोड़ दी, तृष्णाएँ त्याग दीं और मन की माया हटा दी। गोरख कहता है कि नौ द्वारों वाले इस शरीर (पृथ्वी) में मैं पुनः नहीं आऊँगा। गोरख तो मछंदर के आश्रय में ही रहेगा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : श्री गोरख गीत (पृष्ठ 84)
    • रचनाकार : गोरखनाथ
    • प्रकाशन : laxmi prakashan
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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