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कृषक हितों की बात छलावा

krishak hiton ki baat chhalava

अनामिका सिंह

अनामिका सिंह

कृषक हितों की बात छलावा

अनामिका सिंह

और अधिकअनामिका सिंह

    धरती का भगवान हुए क्यों

    सपने लहूलुहान।

    नीति नियंता कभी अफरे 

    जितने भी आए।

    तारणहार तुम्हारे हमने

    छद्म गीत गाए।

    सत्ता की महराब, पीर क्या 

    समझें छप्पर छान।

    उचित मूल्य फसलों का हलधर 

    कब-कब हैं लाए।

    खड़ी फसल चौपाए चरते,

    पथ पर दोपाए। 

    कृषि प्रधान है देश हमारा 

    भूखा मगर किसान।

    खेतों तक कब जन की सत्ता

    आएगी चलकर।

    कृषक सुबकते, हाकिम भरते 

    नित कुबेर का घर।

    कृषक हितों की बात छलावा 

    पूँजीवाद महान।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनामिका सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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