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वन

wan

अनुवाद : सतीश ‘विमल’

उसने कहा मुझे कि तुम

उपवनों, पुष्प वाटिकाओं को

वन की चीड़ों, चीनारों और सरूवृक्षों को

प्रकाश और पवन को

समुद्रों और सरोवरों को

जीव जंतुओं की उमंग भरी गुहार को

अपने छंदो में जगह देते हो

अब क्या कहूँ उसे

कैसे कहूँ

इन सब के आने के बाद जन्मा मानव

इन्हीं से होकर आगे बढ़ा

वह चलता रहा अथक

इनसे ही लिए रंग-रूप नए

फिर बड़ा हुआ वह, इतना बड़ा

उसका होना और ना होना इनसे है

इन्हीं में है सुख-चैन उसका

है भाग्य ने उसका इनसे मिलन कराया

ये ना होते तो कहो

मैं तुमको कहाँ ढूँढ़ता फिरता।

(मूल शीर्षक : वन)

स्रोत :
  • पुस्तक : उजला राजमार्ग (पृष्ठ 61)
  • संपादक : रतनलाल शांत
  • रचनाकार : गुलाब नबी फ़िराक़
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2005
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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