मेरे लिए तुम्हारी कविता ही पगडंडी है
mere liye tumhari kawita hi pagDanDi hai
ज्याेति शोभा
Jyoti Shobha
मेरे लिए तुम्हारी कविता ही पगडंडी है
mere liye tumhari kawita hi pagDanDi hai
Jyoti Shobha
ज्याेति शोभा
और अधिकज्याेति शोभा
कहीं भी जा सकते हो तुम
किसी के भी संग घूम सकते हो
तुम कवि हो
लेकिन मन चाहे तो चित्रकारी कर सकते हो
एक स्त्री का चित्र बना कर उसके प्रेम में पड़ सकते हो
मेरे लिए तुम्हारी कविता ही पगडंडी है
तुम्हारी देह अरण्य
खोने और खोज लेने के बीच
मेरी नागरिकता ख़त्म हो जाती है
मुझे पूछना पड़ता है
तुम्हारे चित्रों से
गिरे पत्तों के अतिरिक्त
छुपने की कोई और भी जगह है तुम्हारे देश में?
चुंबन के एक बिंब की तरह
मेरी आत्मा बहुत थोड़ी जगह लेती है।
- रचनाकार : ज्योति शोभा
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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