जंग में जाते सिपाही को अलविदा कहती स्त्री के नाम
jang mein jate sipahi ko alavida kahti stri ke naam
आमिर हमज़ा
Amir Hamza
जंग में जाते सिपाही को अलविदा कहती स्त्री के नाम
jang mein jate sipahi ko alavida kahti stri ke naam
Amir Hamza
आमिर हमज़ा
और अधिकआमिर हमज़ा
चौतरफ़ा गूँजते सायरन के बीच
जंग में जाते एक हथियारबंद सिपाही को
सर-ए-राह गले लगाने वाली स्त्री
जो उसकी माँ हो सकती है या कि बहन
प्रेमिका हो सकती है या कि दोस्त
या कि फिर पत्नी…
...से बेहतर भला कौन जान सकता है
कि हर अलविदा
एक यात्रा की समाप्ति है।
- रचनाकार : आमिर हमज़ा
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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