हिरोशिमा के इतिहास में जो दर्ज नहीं हैं उनके नाम
hiroshima ke itihas mein jo darj nahin hain unke naam
आमिर हमज़ा
Amir Hamza
हिरोशिमा के इतिहास में जो दर्ज नहीं हैं उनके नाम
hiroshima ke itihas mein jo darj nahin hain unke naam
Amir Hamza
आमिर हमज़ा
और अधिकआमिर हमज़ा
छह अगस्त सन् उन्नीस सौ पैंतालीस को
दूसरी आलमी-जंग के दौरान
परमाणु-बम से लैस एक अमेरिकी वायुयान
जिसका नाम एनोला-गे था
कर्कश आवाज़ में अपने डैने फैलाए
ज़िंदगी को रंगहीन बनाने के मक़सद से जब मँडरा रहा होगा
जापान के उस एक पंखेनुमा शहर के ऊपर
जिसका नाम हिरोशिमा है
विस्फोट से चंद लम्हा पहले सूरत-ए-हाल क्या होगा?
सही-ग़लत और
कहे-सुने के पार जाकर
जो हिरोशिमा के इतिहास में कहीं भी दर्ज नहीं है
मैं अक्सर सोचता हूँ कि चंद लम्हा पहले—
किसी ने किसी का प्रेम-प्रस्ताव किया होगा तस्लीम
तो किसी ने होगा ठुकराया
किसी मुसव्विर ने एक लंबी उम्र के बाद
ज़िंदगी की कूची और धूप के रंगों से बनाया होगा
सबसे उम्दा चित्र
कोई तितली उड़ी होगी शाख़ से
मन में आकाश छूने की तमन्ना लिए
कोई बच्चा जन्मा होगा बिल्कुल अभी-अभी
कोई चिड़िया निकली होगी चुग्गे की तलाश में
तो किसी ने किया होगा एक अरसे बाद मुकम्मल घोंसला
किसी कबूतर ने किया होगा परवाज़
अपनी चोंच में प्रेम-पत्र दबाए
कोई चिठ्ठीरसा निकला होगा मुहब्बत का पैग़ाम बाँटने
कोई मज़दूर रोज़ की तरह निकला होगा घर से काम की तलाश में
बड़ी मशक़्क़त के बाद लहराती-इठलाती फ़सल को देखकर
आई होगी किसी दहक़ाँ के चेहरे पर दुज़दीदा मुस्कान
यह हिरोशिमा के इतिहास में कहीं भी दर्ज नहीं है
इस संदर्भ में न कोई शिलालेख मिलता है
न कोई पांडुलिपि और
न ही कोई ताम्रपत्र
अलावा इसके कि—
छह अगस्त सन उन्नीस सौ पैंतालीस को
दूसरी आलमी जंग के दौरान
एक दुश्मन देश ने एक दुश्मन देश पर
परमाणु बम से कहर बरपाकर अपनी शक्ति का लोहा मनवाया
या कि इंसानियत शर्मसार हुई…
शायद यही युद्ध का नियम भी है—
जो उसके पक्ष में नहीं होते
इतिहास से बेदख़ल कर दिए जाते हैं।
- रचनाकार : आमिर हमज़ा
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.