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पेड़ उगता है
काठ की प्राकृतिक मीनार की तरह।
गोल-गोल पत्ते धारे अंग
शाखाओं में फूट पड़ते हैं।
इन्हीं पेड़ों के समूह से
बाँज-कुंज बनता है, जंगल बनता है,
पर जंगल की परिभाषा सही नहीं होगी
अगर हम सिर्फ़ उसके रूपाकार को देखें।

गाय का स्थूल शरीर
चार किनारों पर टिका
जिस पर एक मंदिर-नुमा सिर है
और दो सींग (सप्तमी के चाँद की तरह)
वह भी अबूझ रहेगा
वह भी दुर्बोध रहेगा
अगर हम भूल जाएँ
सारे विश्व के प्राणियों के नक़्शे में
उसका अर्थ।

घर, काठ का एक ढाँचा, मानो पेड़ों की क़ब्रगाह,
मृत देहों से बनी झोंपड़ी की तरह
लोथों के मंडप की तरह
मर्त्यों में उसे कौन समझ सकता है
जीवितों में उसे कौन अनुमान सकता है
अगर हम उस मनुष्य को भूल जाएँ
जिसने उसे काटा और बनाया।
मनुष्य, धरती का शासक,
जंगलों का प्रभु,
गोमांस का सम्राट,
दुमंज़िले घर का विश्वकर्मा,
वही धरती पर राज करता है,
वही जंगलों को काटता है
वही गाय का वध करेगा
पर वह एक शब्द भी नहीं बोल पाता।

और मैं, एक नीरस मनुष्य—
मैंने एक लंबी चमकदार बाँसुरी ओठों पर रखी
उसमें फूँक मारी, और मेरी साँसों से।
संसार में शब्द लहरा उठे, नाना रूप धरकर।

गाय मेरे लिए खिचड़ी पकाती थी,
पेड़ मुझे एक कहानी पढ़कर सुनाता था,
और संसार के मुर्दा घर
उछल रहे थे, मानो वे जीवित हों।
स्रोत :
  • पुस्तक : आधुनिक रूसी कविताएँ-1 (पृष्ठ 121)
  • संपादक : नामवर सिंह
  • रचनाकार : निकोलाय ज़बोलोत्स्की
  • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
  • संस्करण : 1978
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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