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पिय-प्यारी आवत हैं प्रात
पिय-प्यारी आवत हैं प्रात।अंग-अंग अलसात रगमगे, रति के चिह्न सोहत सब गात॥
छीतस्वामी
मोहन प्रात ही खेलत होरी
मोहन प्रात ही खेलत होरी।चोबा चंदन अगर कुंकुमा, केसरि अबीर लिये भरि झोरी॥
छीतस्वामी
प्रीत नंद नंदन सो कीजे
प्रीत नंद नंदन सो कीजे।संपत्ति विपत्ति परे प्रतिपाले कृपा करे सो जीजे॥
परमानंद दास
जा दिन प्रीत श्याम सो कीनी
जा दिन प्रीत श्याम सो कीनी।ता दिनतें मेरी अंखियन में नेकहूं नींद न लीनी॥
परमानंद दास
मनमोहन जाकी दृष्टि परत
मनमोहन जाकी दृष्टि परत, ताकी गति होत है और-और।न सुहात भवन, तन-असन-बसन, बनहीं कों धावत दौर-दौर॥
नारायण स्वामी
लालत सूं मेरी प्रीत जरी हो
लालत सूं मेरी प्रीत जरी हो।ज्यागति सोबति राम की मुरती, देखती हुँ ज्याहां तहाँ खरी हो॥