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सुंदर घनस्याम लाल
सुंदर घनस्याम लाल, पंकज लोचन बिसाल,आंगन ब्रजरानी जू के ठुमुकि-ठुमुकि धावै।
छीतस्वामी
हिंडोरे माई, झूलत गिरिधर लाल
हिंडोरे माई, झूलत गिरिधर लाल।संग राजत वृषभानु-नंदिनी अंग-अंग रूप रसाल॥
नंददास
जेहों दुल्हे लाल दुल्हैया
जेहों दुल्हे लाल दुल्हैया।बहुविधि साक सुधारे बिंजन और बनायो पैया॥
परमानंद दास
छांड़ो मेरे लाल अजहुँ लरकाई
छांड़ो मेरे लाल अजहुँ लरकाई।यही काल देखिकैं तोकों ब्याह की बात चलावन आई॥
परमानंद दास
सब बिध मंगल नंद को लाल
सब बिध मंगल नंद को लाल॥कमलनयन बलि जाय जसोदा न्हात खिजो जिन मेरे लाल॥
परमानंद दास
लाल संग रास-रंग
लाल संग रास-रंग, लेत मान रसिक-रवंनि,ग्रग्रता ग्रग्रता तत तत तत, थेई थेई गति लीने।
छीतस्वामी
लाल तेरी चितवन चितहि चुरावै
लाल तेरी चितवन चितहि चुरावै।नंदग्राम वृषभानपुरा बिच मारग चलन न पावै॥
कुंभनदास
जागो मेरे लाल जगत उजियारे
जागो मेरे लाल जगत उजियारे।कोटि मदनवारों मुसकन पर कमलनैन के तारे॥
परमानंद दास
ओ लाल थाने फाग खिलाऊं
ओ लाल थाने फाग खिलाऊं, रसिकन का सरदार।प्रेम रस रंग लगाऊं, संग वृषभानु दुलार॥
रानाबाई
यह मेरे लाल कौ अनप्रासन
यह मेरे लाल कौ अनप्रासन।भोजन दच्छना बहुत प्रियजन कौ देहू मनिमय आसन॥
परमानंद दास
मेरौ मनु हरयौं गिरिधर लाल
मेरौ मनु हरयौं गिरिधर लाल।सुनु री सखी कहा कहौं तोसौं, जे कीन्हे हरि हाल॥
छीतस्वामी
लाल कौ सिंगार करावत मैया
लाल कौ सिंगार करावत मैया।करि उबटनो अन्हबायें रुचि सो हरि हलधर दोऊ भैया॥
परमानंद दास
जागो गोपाल लाल जननी बलि जाई
जागो गोपाल लाल जननी बलि जाई।उठो तात प्रात भयो रजनी को तिमिर गयो