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निरखत अंक स्यामसुंदर के
निरखत अंक स्यामसुंदर के बारबार लावति छाती।लोचन-जल कागद-मसि मिलि कै ह्वै गई स्याम स्याम की पाती॥
सूरदास
कुंज के द्वार ठाढे हैं मोहन
'गोविंद' प्रभु गिरिधर घोखराजसुत मो तो तिहारे गुन रूप भए—सब धाइ अंक भरि लीजे॥
गोविंद स्वामी
गोविंद चले चरावन गैया
‘चतुर्भुजदास’ छाक छीके सजि, सखनि सहित बल भैया।गिरिधर गवनत देखि अंक भरि मुख चूम्यो ब्रजरैया॥
चतुर्भुजदास
नात होती लराई दृगन में
फेरि मारग दिस खेल लगाई, भँवर करी चकरी।‘रसिक प्रीतम’ के अंक बसी हों, मेलि गरें भुज री॥
गोस्वामी हरिराय
आवति माई राधिका प्यारी
घूँघट की ओट व्है लियो है लाल मनुहारी—'गोविंद' प्रभु दंपति रस मूरति दृष्टि सों भरत अंक घारी॥
गोविंद स्वामी
पिया हो, कसकत कुस पग बीच
सुनि तुरंत पठयो लखनहि प्रभु जल हित दूरि सुजान।लोइ अंक सिय जोवत कुस कन धोवत पत अँसुआन॥