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इत कलँगी उत चन्द्रिका
इत कलँगी उत चन्द्रिका, कुंडल तरिवन कान।सिय सिय बल्लभ मों सदा, बसो हिये बिच आन॥
हरिहर प्रसाद
विधि हरिहर जाकहँ जपत
विधि हरिहर जाकहँ जपत, रहत त्यागि सब काम।सो रघुबर मन महँ सदा, सिय को सुमिरत नाम॥
हरिहर प्रसाद
जैति सिया तड़िता बरण
जैति सिया तड़िता बरण, मेघ बरण जय राम।जै सिय रति मद नाशिनी, जै रति पति जित साम॥
हरिहर प्रसाद
बिहरत गलबाहीं दिये सिय
बिहरत गलबाहीं दिये, सिय रघुनन्दन भोर।चहुँ दिशि ते घेरे फिरत, केकी भँवर चकोर॥
हरिहर प्रसाद
हिन्दू में क्या और है
हिंदू में क्या और है, मुसलमान में और।साहिब सब का एक है, ब्याप रहा सब ठौर॥
रसनिधि
हिंदू तो हरिहर कहे
हिंदू तो हरिहर कहे, मुस्सलमान खुदाय।साँचा सद्गुरु जे मिले, दुविधा रहे ना काय॥
संत बाबालाल
कविगण कविता करहि जो
कविगण कविता करहि जो, ज्ञानवान रस लेइ।जन्म देइ पितु पुत्र को, पुत्रि पतिहि सुख देइ॥
विनायकराव
क्या हिन्दू क्या मुसलमान
क्या हिन्दू क्या मुसलमान, क्या ईसाई जैन।गुरु भक्ती पूरन बिना, कोई न पावे चैन॥