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सुन्दर बैठै नाव मैं
सुन्दर बैठै नाव मैं, कहूँ-कहूँ तें आइ।पार भये कतहूँ गये, त्यौं कुटंब सब जाइ॥
सुंदरदास
नील पीत नव बसन छवि
नील पीत नव बसन छवि, हिलि मिलि भय यक रंग।हरे हरे अली कहत हैं, यह धरि सिय पिय अंग॥
बाल अली
कविगण कविता करहि जो
कविगण कविता करहि जो, ज्ञानवान रस लेइ।जन्म देइ पितु पुत्र को, पुत्रि पतिहि सुख देइ॥