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कठिन बिरह ऐसी करी
कठिन बिरह ऐसी करी, आवति जबै नगीच।फिरि-फिरि जाति दसा लखे, कर दृग मीचति मीच॥
दुलारेलाल भार्गव
प्रीत रीति अति कठिन
प्रीत रीति अति कठिन, प्रीत न कीजै लाल।मिले कठिन, बिछरन कहत, नित जिय जरै जमाल॥
जमाल
कठिन पियाला प्रेम का
कठिन पियाला प्रेम का, पिए जो हरि के हाथ।चारों जुग माता रहे, उतरै जिय के साथ॥
मलूकदास
सुन्दर सूरातन कठिन यह
सुन्दर सूरातन कठिन यह, नहिं हांसी खेल।कमधज कोई रूपि रहै, जबहिं होत मुख मेल॥
सुंदरदास
प्रीतम कठिन कृपान से
प्रीतम कठिन कृपान से, मति अंतर उरभार।सुमन माँझ सुरति सजन, जिन्ह लागै तित धार॥
युगलान्यशरण
पीपा दास कहाबो कठिन है
पीपा दास कहाबो कठिन है, मन नहिं छांड़े मानि।सतगुरू सूँ परचौ नही, कलियुग लागौ कानि॥
संत पीपा
काटौ कठिन कलेसु मो
काटौ कठिन कलेसु मो, मोह-मार-मद वक्र।मथन-मत्त-शिशुपाल-करि, केहरि केशव-चक्र॥
वियोगी हरि
चढ़ि सु प्रीति-नौका कठिन
चढ़ि सु प्रीति-नौका कठिन, छेह दई कुलकान।कोप-उदधि बोरत लगी, बार न मोहिं अजान॥
मोहन
कूकस कूटहिं कन बिना
कूकस कूटहिं कन बिना, हाथ चढै कछु नांहिं।सुन्दर ज्ञान हृदै नहीं, फिरि-फिरि गोते खाहिं॥