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इत कलँगी उत चन्द्रिका
इत कलँगी उत चन्द्रिका, कुंडल तरिवन कान।सिय सिय बल्लभ मों सदा, बसो हिये बिच आन॥
हरिहर प्रसाद
विधि हरिहर जाकहँ जपत
विधि हरिहर जाकहँ जपत, रहत त्यागि सब काम।सो रघुबर मन महँ सदा, सिय को सुमिरत नाम॥
हरिहर प्रसाद
जैति सिया तड़िता बरण
जैति सिया तड़िता बरण, मेघ बरण जय राम।जै सिय रति मद नाशिनी, जै रति पति जित साम॥
हरिहर प्रसाद
बिहरत गलबाहीं दिये सिय
बिहरत गलबाहीं दिये, सिय रघुनन्दन भोर।चहुँ दिशि ते घेरे फिरत, केकी भँवर चकोर॥
हरिहर प्रसाद
कबीर की साखियाँ (एन.सी. ई.आर.टी)
कबीर घास न नींदिए, जो पाऊँ तलि होइ।उड़ि पड़ै जब आँखि मैं, खरी दुहेली होइ।4।